
SMS Hospital: कहते हैं कि अस्पताल में मिलने वाली चिकित्सा सेवा इंसान की अंतिम उम्मीद होती है, लेकिन जब यही सेवा ‘इलाज’ की बजाय ‘ट्रोमा’ में तब्दील हो जाए, तो इसे समाज की व्यवस्था पर सबसे बड़ा प्रश्नचिह्न समझा जाना चाहिए। (SMS Hospital) राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, एसएमएस, की ओपीडी में हर दिन 10 हजार से अधिक मरीज इलाज की आस में आते हैं, लेकिन जो अनुभव उन्हें मिलता है, वह उनकी उम्मीदों को झकझोर देता है।
गुरुवार देर रात चिकित्सा सचिव अंबरीश कुमार ने एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर, जनाना और गणगौरी अस्पताल का पांच घंटे का औचक निरीक्षण किया। यह दौरा जितना आवश्यक था, उससे कहीं अधिक चौंकाने वाले हालात उनके सामने आए। इनमें सबसे अधिक हैरान करने वाली तस्वीर ट्रोमा सेंटर की थी, जहां व्यवस्था की खामियों ने इलाज को ‘असली ट्रोमा’ बना दिया है।
ट्रोमा सेंटर: वार्ड ब्वॉय कर रहा था प्लास्टर
एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में स्थिति इतनी खराब थी कि मरीजों को प्लास्टर करने का काम वार्ड ब्वॉय कर रहा था। पूछने पर उसने बताया कि यह जिम्मेदारी उसे हमेशा से दी गई है। मरीजों की दुर्दशा को देखते हुए चिकित्सा सचिव ने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई और निर्देश दिया कि अस्पताल में डॉक्टर्स का ड्यूटी चार्ट, मोबाइल नंबर और अन्य जरूरी जानकारी सार्वजनिक रूप से चस्पा की जाए।
इमरजेंसी में न ट्रॉली, न ट्रॉली मैन
रात 10:15 बजे चिकित्सा सचिव जब इमरजेंसी पहुंचे, तो एंबुलेंस से आए मरीजों को वार्ड तक लाने के लिए ट्रॉली तक उपलब्ध नहीं थी। सीनियर डॉक्टर्स भी मौके पर नहीं मिले। जगह-जगह फैली गंदगी और फटी बेडशीट्स ने व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। मरीजों को ठंड से बचने के लिए 600 रुपये में किराए पर कंबल खरीदने पड़े, जो अस्पताल की लापरवाही को स्पष्ट करता है।
सीनियर डॉक्टर नदारद, रेजिडेंट के भरोसे सिस्टम
जनाना और गणगौरी अस्पताल में निरीक्षण के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि पूरा सिस्टम रेजिडेंट डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ के सहारे चल रहा है। सीनियर डॉक्टर्स नदारद थे, और इमरजेंसी सेवाओं में भारी कमी देखने को मिली। अंबरीश ने निर्देश दिए कि स्टाफ की ड्यूटी शीट और आवश्यक संसाधनों को तुरंत व्यवस्थित किया जाए।
कंबल और बेडशीट: आते हैं, पर मरीजों तक नहीं पहुंचते
अस्पताल में मरीजों के लिए कंबल और बेडशीट नियमित रूप से उपलब्ध कराए जाते हैं, लेकिन यह सामग्री मरीजों तक नहीं पहुंचती। जो बेडशीट उपलब्ध हैं, वे भी अधिकतर फटी हुई हैं। चिकित्सा सचिव ने सर्दी के मद्देनजर उच्च गुणवत्ता के कंबल खरीदने और मरीजों को प्राथमिकता से उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
मेंटेनेंस की कमी: बड़ा सवाल
उपकरणों की समय पर मरम्मत और रखरखाव की कमी पर सवाल उठाते हुए अंबरीश ने कहा कि यह लापरवाही अस्वीकार्य है। छोटे कार्यों को विकेंद्रीकृत व्यवस्था से पूरा करने और जरूरी कार्यों के लिए बजट की कोई कमी न होने की बात कही। साथ ही, सभी स्टाफ को ड्यूटी समय में यूनिफॉर्म में रहने और मरीजों व उनके परिजनों के लिए भोजन की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के आदेश दिए।
सुधार के लिए कड़े निर्देश
निरीक्षण के दौरान चिकित्सा शिक्षा सचिव ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगले 2-3 दिनों में व्यवस्थाओं में सुधार लाया जाए। लापरवाही करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के संकेत भी दिए गए। निरीक्षण में अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे, लेकिन उनके पास व्यवस्थाओं की खामियों का कोई ठोस जवाब नहीं था।
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