
पिछले कुछ महीनों में बढ़ी भूकंपीय हलचल
यह पहला मौका नहीं है जब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इस तरह की गतिविधि दर्ज की गई हो। इससे पहले को सुबह 5:36 बजे भी तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। उस समय झटके इतने तेज थे कि लोगों की नींद टूट गई और कई घंटों तक दहशत का माहौल बना रहा। ताजा भूकंप से किसी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना समाचार लिखे जाने तक नहीं मिली है। हालांकि, विशेषज्ञ लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि भूकंप की तैयारी और जागरूकता को प्राथमिकता दी जाए।
भूकंप का विज्ञान क्या कहता है?
भूकंप वैज्ञानिकों के मुताबिक, धरती की सतह सात बड़ी और कई छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी होती है। ये प्लेट्स निरंतर गति में रहती हैं और जब ये आपस में टकराती या खिसकती हैं, तो गहराई में जमा ऊर्जा अचानक बाहर निकलती है, जिससे कंपन उत्पन्न होता है। “भूकंप की तीव्रता कम हो या ज्यादा, हर बार यह याद दिलाता है कि आपदा प्रबंधन और सावधानी ही सुरक्षा की पहली शर्त है।”
भविष्य के लिए सतर्कता जरूरी
लगातार आ रहे छोटे-छोटे झटकों को विशेषज्ञ भूकंपीय सक्रियता के संकेत मानते हैं। ऐसे में दिल्ली-एनसीआर के नागरिकों को आपातकालीन योजना और सुरक्षा अभ्यास को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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