
ACB Trap Rajasthan: राजस्थान में भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाईयों को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है। एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) ने पहले पुख्ता सबूतों के आधार पर बहरोड़ सदर थानाधिकारी राजेश यादव और उनके रीडर अजीत सिंह को रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा। (ACB Trap Rajasthan)आरोप था कि इन्होंने आईफोन और 15,000 रुपए की रिश्वत ली। लेकिन अब, वही एसीबी जो पहले मजबूत साक्ष्य पेश कर रही थी, उन्हीं आरोपियों को क्लीन चिट देने का दावा कर रही है। सवाल यह उठता है कि क्या भ्रष्टाचार के मामलों में जांच एजेंसियां खुद ही असमंजस में हैं, या फिर यह किसी बड़े खेल का हिस्सा है?
एसीबी की रिपोर्ट कोर्ट में, लेकिन क्या सच्चाई बदली?
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने इस मामले की रिपोर्ट अदालत में पेश कर दी है, लेकिन सवाल उठता है—क्या यह जांच सच के करीब जा रही है या फिर किसी दबाव का नतीजा है? यह मामला जून 2024 का है, जब बहरोड़ सदर थाने में दर्ज एक केस की एफआर (फ़ाइनल रिपोर्ट) लगाने के नाम पर खुल्लमखुल्ला रिश्वत मांगी गई थी।
थानाधिकारी की बेशर्मी—आईफोन और कैश की डिमांड!
एसीबी की शुरुआती रिपोर्ट में दावा किया गया था कि तत्कालीन थानाधिकारी राजेश कुमार यादव ने खुलेआम आईफोन की मांग की, जबकि उसका चार्जर वह पहले ही हड़प चुके थे। वहीं, रीडर अजीत यादव ने 15,000 रुपये रिश्वत के तौर पर मांगे। एसीबी अधिकारी परमेश्वर लाल ने खुद शिकायत का सत्यापन किया और पाया कि यह सबकुछ बेहद योजनाबद्ध तरीके से हो रहा था।
ट्रैप के दौरान खुले भ्रष्टाचार के खेल
1 जून 2024 को, एसीबी के उप अधीक्षक नीरज भारद्वाज की अगुवाई में ट्रैप कार्रवाई हुई। जब परिवादी आईफोन का डिब्बा लेकर थानाधिकारी के पास पहुंचा, तो वह बेधड़क बोला, “इस पर मॉडल नंबर नहीं लिखा है!” उसने आलपिन से डिब्बा खोलने की भी कोशिश की और बिना हिचकिचाहट कहा, “एफआर लग जाएगी, मेरी जज साहब से बात भी हो गई है!”
इससे पहले, जब परिवादी रीडर अजीत यादव से मिला, तो उसने बेहिचक कहा, “तू साहब का ध्यान रख।” क्या यह बयान इस बात का सबूत नहीं कि पूरी पुलिसिंग व्यवस्था में भ्रष्टाचार गहराई तक बैठा है?
अब एसीबी क्यों पलटी?
इस पूरे घटनाक्रम के बाद, एसीबी ने दोनों पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। लेकिन अब वही एजेंसी खुद ही अपनी रिपोर्ट से मुकर रही है। सवाल यह है कि क्या किसी बड़े हाथ ने खेल पलट दिया? क्या सत्ता या दबाव के चलते सच को बदलने की कोशिश हो रही है? राजस्थान की जनता को जवाब चाहिए!
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