आरबीआई गवर्नर से लेकर वित्त मंत्री तक… डॉ. मनमोहन सिंह की राजनीति… अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक यात्रा

Dr. Manmohan Singh: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हो गया है, जिसने देश को एक बड़ी क्षति दी है। डॉ. सिंह, जो आर्थिक सुधारों और देश की प्रगति के लिए जाने जाते थे, लंबे समय से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे और उनकी कई बाईपास सर्जरी हो चुकी थी। दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, Dr. Manmohan Singh)जहां उन्होंने अपनी अंतिम सांसे लीं। डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक मील का पत्थर रहा है। आज हम याद करेंगे कि कैसे उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और देश के लिए अमूल्य योगदान दिया। आइए जानते हैं उनकी यात्रा और देश के प्रति उनकी सेवा की कहानी।

आरबीआई गवर्नर..अर्थशास्त्र के मास्टर

डॉ. मनमोहन सिंह को अर्थशास्त्र का महारथी माना जाता है, और यही कारण था कि 1982 में उन्हें भारत के केंद्रीय बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का गवर्नर बनाया गया। इस पद पर उन्होंने 1985 तक कार्य किया और अपनी गहरी अर्थशास्त्र की समझ से भारतीय वित्तीय प्रणाली को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई।

इकॉनोमिक एडवाइजर का पद

1972 में डॉ. मनमोहन सिंह को भारत सरकार के चीफ इकॉनोमिक एडवाइजर के पद पर नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने लगभग चार वर्षों तक कार्य किया और देश की आर्थिक दिशा को सही दिशा में मोड़ने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियां बनाई। इसके बाद, उन्हें प्लानिंग कमीशन का हेड भी बनाया गया, और 1985 से 1987 तक इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया।

वित्त मंत्री के रूप में प्रभावशाली भूमिका

1991 में, पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में, डॉ. मनमोहन सिंह को भारत के वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने अपनी गहरी समझ और आर्थिक नीति के बल पर देश की अर्थव्यवस्था में कई महत्वपूर्ण सुधार किए। हालांकि, इस दौरान उन्हें विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी से कड़ी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उनका काम देश के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुआ।

सम्मान…पुरस्कार

डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान को विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया गया। 1987 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा गया, और 1993 में वित्त मंत्री के रूप में यूरो मनी पुरस्कार और एशिया मनी पुरस्कार भी मिले। 1995 में उन्हें भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ, जो उनके अद्वितीय योगदान का प्रमाण है।

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Bodh Saurabh

प्रिंट मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत करते हुए दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और खास खबर.कॉम जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर काम किया। गुलाबी नगरी जयपुर का निवासी, जहां की सांस्कृतिक और राजनीतिक धड़कन को बारीकी से समझा। धर्म, राजनीति, शिक्षा, कला और एंटरटेनमेंट से जुड़ी कहानियों में न सिर्फ गहरी रुचि बल्कि समाज को जागरूक और प्रेरित करने का अनुभव। सकारात्मक बदलाव लाने वाली रिपोर्टिंग के जरिए समाज की नई दिशा तय करने की कोशिश। कला और पत्रकारिता का अनोखा संगम, जो हर कहानी को खास बनाता है।

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