गहलोत बोले- VVPAT की जरूरत क्यों? मंत्री का पलटवार- कांग्रेस हारकर बहानेबाजी में माहिर है!

Indian politics: लोकतंत्र की नींव जनता का भरोसा है, और चुनावी प्रक्रिया उसका आधार। तकनीक के इस दौर में, जब चुनाव प्रक्रिया डिजिटल हो चुकी है, तब ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) ( Indian politics)पर बार-बार उठने वाले सवाल इस विश्वास को चुनौती देते हैं। ईवीएम की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर समय-समय पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपनी सहमति जताई है, जिससे इस बहस ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा ईवीएम पर उठाए जा रहे सवालों का समर्थन करते हुए इसे चुनावी प्रक्रिया का महत्वपूर्ण मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल चुनावी हार-जीत का मामला नहीं है, बल्कि जनता का विश्वास बनाए रखने का प्रश्न है। गहलोत ने महाराष्ट्र और हरियाणा के अप्रत्याशित चुनावी नतीजों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन घटनाओं ने जनता के मन में ईवीएम को लेकर संदेह पैदा कर दिया है।

गहलोत ने जोर देकर कहा कि देश में लोगों का ईवीएम पर से भरोसा उठता जा रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की पहल करे।

गहलोत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब 2024 के आम चुनाव नजदीक हैं और विपक्ष एकजुट होकर सत्तारूढ़ दल के खिलाफ मोर्चा तैयार कर रहा है। ऐसे में ईवीएम और बैलेट पेपर को लेकर फिर से शुरू हुई यह बहस चुनावी राजनीति को नई दिशा दे सकती है।

ज्योतिबा फुले को दी श्रद्धांजलि, चाय पर जनता से संवाद

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुरुवार को महात्मा ज्योतिबा फुले की 134वीं पुण्यतिथि पर जयपुर के बाइस गोदाम स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने पहुंचे। इसके बाद उन्होंने जनता से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनी।

ईवीएम पर सवाल: वीवीपैट की जरूरत क्यों पड़ी?

अशोक गहलोत ने ईवीएम पर उठ रहे सवालों को लेकर कहा कि यदि ईवीएम पूरी तरह सही होती, तो सुप्रीम कोर्ट को वीवीपैट लगाने का आदेश देने की जरूरत क्यों पड़ी? वीवीपैट पर 15-20 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए। यह निर्णय बताता है कि मशीनों से छेड़छाड़ संभव है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी द्वारा दायर याचिका का उल्लेख करते हुए कहा कि इस मसले पर गंभीरता से विचार होना चाहिए।

बैलेट पेपर का समर्थन, अमेरिका-इंग्लैंड का उदाहरण

गहलोत ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग करते हुए कहा कि अमेरिका और इंग्लैंड जैसे बड़े देश भी बैलेट पेपर से चुनाव करा रहे हैं। जनता में यह धारणा बन गई है कि ईवीएम में टेम्परिंग हो सकती है। इससे मतदान का विश्वास कमजोर हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को इसे अपनी प्रतिष्ठा का विषय नहीं बनाना चाहिए और बैलेट पेपर प्रणाली अपनाने पर विचार करना चाहिए।

हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों पर चिंता

गहलोत ने हरियाणा और महाराष्ट्र के अप्रत्याशित चुनावी परिणामों का जिक्र करते हुए कहा कि इन नतीजों ने लोगों को चौंका दिया है। उन्होंने बताया कि इन चुनावों में विपक्षी पार्टियों का सफाया लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है।

वोटिंग से मोहभंग पर जताई चिंता

उन्होंने कहा कि आज कई लोग मतदान करने ही नहीं जाते क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके वोट का सही उपयोग नहीं होगा। इस स्थिति को ठीक करना लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।

‘ईवीएम पर हार का ठीकरा फोड़ती है कांग्रेस’

गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने गहलोत के बयान पर कहा कि कांग्रेस हर चुनाव हारने के बाद ईवीएम को दोष देती है। उन्होंने गहलोत से आग्रह किया कि इस प्रकार के आधारहीन बयान देने से बचें। बेढ़म ने कांग्रेस की योजनाओं और यात्राओं पर तंज कसते हुए कहा कि जनता अब इन पर ध्यान नहीं देती।

2047 तक विकसित भारत का सपना

बेढ़म ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि सरकार 2047 तक भारत को विकसित देशों की श्रेणी में लाने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने सनातन संस्कृति और विरासत के संरक्षण की प्राथमिकता पर भी जोर दिया।

चाय पर चर्चा: गहलोत ने जनता से की सीधी बात

महात्मा ज्योतिबा फुले की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि देने के बाद अशोक गहलोत पास ही की चाय की दुकान पर पहुंचे। वहां उन्होंने आम लोगों से चर्चा की, उनके हालचाल जाने और उनकी शिकायतें सुनीं।

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Bodh Saurabh

प्रिंट मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत करते हुए दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और खास खबर.कॉम जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर काम किया। गुलाबी नगरी जयपुर का निवासी, जहां की सांस्कृतिक और राजनीतिक धड़कन को बारीकी से समझा। धर्म, राजनीति, शिक्षा, कला और एंटरटेनमेंट से जुड़ी कहानियों में न सिर्फ गहरी रुचि बल्कि समाज को जागरूक और प्रेरित करने का अनुभव। सकारात्मक बदलाव लाने वाली रिपोर्टिंग के जरिए समाज की नई दिशा तय करने की कोशिश। कला और पत्रकारिता का अनोखा संगम, जो हर कहानी को खास बनाता है।

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